सितारों को आँखों में महफूज रखना,
बड़ी देर तक रात ही रात होगी,
मुसाफिर हैं हम, मुसाफिर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी।
अगर बात ख्वाबों कि करूं तो सिर्फ इतना ही कहूंगा...
तुमसे जुड़ा हो तो हसीन है,और अगर तुम्हारा हो तो बेहतरीन
कभी ज़्यादा कभी थोड़े कभी कुछ कम नज़र आए,
क़सम ले लो,
हमें हर वक्त तुम ही तुम ,नज़र आए
गुफ्तगू' करते रहिये,
थोड़ी थोड़ी अपने चाहने वालों से.
जाले' लग जाते हैं,
अक्सर बंद मकानों में
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता
बुझा सका ह भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो
जहाँ उमीद हो सकी वहाँ नहीं मिलता
कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता
चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
खुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
बड़ी देर तक रात ही रात होगी,
मुसाफिर हैं हम, मुसाफिर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी।
अगर बात ख्वाबों कि करूं तो सिर्फ इतना ही कहूंगा...
तुमसे जुड़ा हो तो हसीन है,और अगर तुम्हारा हो तो बेहतरीन
कभी ज़्यादा कभी थोड़े कभी कुछ कम नज़र आए,
क़सम ले लो,
हमें हर वक्त तुम ही तुम ,नज़र आए
गुफ्तगू' करते रहिये,
थोड़ी थोड़ी अपने चाहने वालों से.
जाले' लग जाते हैं,
अक्सर बंद मकानों में
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता
बुझा सका ह भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो
जहाँ उमीद हो सकी वहाँ नहीं मिलता
कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता
चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
खुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
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