आ तू पढ़ले मुझे करीब से,में जिंदगी
खुल्ली किताब की तरह जी रहा हूं।
मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है;
उसे खबर है कि मुझे बद्दुआ नहीं आती;
सब कुछ सौप दिया उसे हमने;
फिर भी वो कहता है, हमें वफा नहीं आती
उल्फत का यह दस्तूर होता है;
जिसे चाहो वही हमसे दूर होता है;
दिल टूट कर बिखरता है इस क़द्र जैसे;
कांच का खिलौना गिरके चूर-चूर होता है
बोहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शेहेर में
एक बार जो बिछड़ा वापस नहीं मिलता।
बेकार जाया किया वक्त
किताबो में,
सारे सबक तो कम्भख्त
ठोकरों से मिले हे।
वो रोए तो बहुत.. पर मुहं मोड़कर रोए..
कोई तो मजबूरी होगी.. जो दिल तोड़कर रोए..
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकडे़..
पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए.
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने
नफरतो कि इस दुनिया में चाह ढूँढता हूँ
मै आज भी मोहोब्बत बेपनाह ढूँढता हूँ
भटकता मुसाफिर हूँ एक ये मेरी कहानी है
पहुंचा दे मंजिल तक वोह एक राह ढूँढता हूँ.
आईना देखोगे तो मेरी याद आएगी
साथ गुज़री वो मुलाकात याद आएगी
पल भर क लिए वक़्त ठहर जाएगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आएगी
खुल्ली किताब की तरह जी रहा हूं।
मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है;
उसे खबर है कि मुझे बद्दुआ नहीं आती;
सब कुछ सौप दिया उसे हमने;
फिर भी वो कहता है, हमें वफा नहीं आती
उल्फत का यह दस्तूर होता है;
जिसे चाहो वही हमसे दूर होता है;
दिल टूट कर बिखरता है इस क़द्र जैसे;
कांच का खिलौना गिरके चूर-चूर होता है
बोहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शेहेर में
एक बार जो बिछड़ा वापस नहीं मिलता।
बेकार जाया किया वक्त
किताबो में,
सारे सबक तो कम्भख्त
ठोकरों से मिले हे।
वो रोए तो बहुत.. पर मुहं मोड़कर रोए..
कोई तो मजबूरी होगी.. जो दिल तोड़कर रोए..
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकडे़..
पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए.
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने
नफरतो कि इस दुनिया में चाह ढूँढता हूँ
मै आज भी मोहोब्बत बेपनाह ढूँढता हूँ
भटकता मुसाफिर हूँ एक ये मेरी कहानी है
पहुंचा दे मंजिल तक वोह एक राह ढूँढता हूँ.
आईना देखोगे तो मेरी याद आएगी
साथ गुज़री वो मुलाकात याद आएगी
पल भर क लिए वक़्त ठहर जाएगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आएगी
0 Response to "प्यार को जब प्यार से प्यार हुवा ?"
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