Love Shayari
केसी हे ये महोब्बत तुम्हारी,
महफ़िल में मिले तो अंजाना कह दिया,
ओर एकेले में मिले तो जान कह दिया।
आँखों में देख कर वो दिल की हकीकत जानने लगे।
उनसे कोई रिश्ता भी नहीं फिर भी अपना मानने लगे।
बन कर हमदर्द कुछ ऐसे उन्होंने हाथ थामा मेरा।
कि हम खुदा से दर्द की दुआ मांगने लगे।
इन दूरियों को जुदाई मत समझना
इन खामोशियो को नाराजगी मत समझना
हर हाल में साथ देंगे आपका
ज़िंदगी ने साथ न दिया तो बेवफाई मत समझना
रेल की तरह गुज़र तो कोई
भी सकती है
इंतज़ार में पटरी की तरह पड़े
रहना ही असल इश्क़ है
उसके दिल में थोड़ी सी जगह माँगी थी,
मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर
मेरे नाम कर दिया।
बस वही जान सकता है
मेरी तन्हाई का आलम।
जिसने जिन्दगी में किसी को
पाने से पहले खोया है।
कह के गया था वो अपनी परिवार से जल्द लौटूंगा,
न जाने किस नापाक की गोली लगी उसे,
मरते वक़्त भी अपनों की न सोचते,
जय हिंद बोल के आँखे बंध की उसने
कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिल जाने,
क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल,
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही,
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल
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